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भगवान् महावीर
च्यायाम शाला में आते थे। वहाँ वे कई प्रकार के दण्ड वैठक, मुग्दर उठाना आदि व्यायाम करते थे। उसके अनन्तर वे मल्ल युद्ध करते थे इसमें उनको बहुत परिश्रम हो जाता था। इसके पश्चात शतपक तैल-जो सौ प्रकार के द्रव्यों से निकाला जाता था, अोर सहस्रपक्क तेल जो एक हजार द्रव्या स निकाला जाता था-ले मालिश करवाते थे, यह मालिश रस रुधिर धातुओं को प्रीति करनेवाला-दीपन करनेवाला, बल की वृद्धि करनेवाला और सब इन्द्रियों को आल्हाद देने वाला होता था। ___व्यायाम के पश्चात् सिद्धार्थ स्नान करते थे । इम स्नान का वर्णन भी कल्पसूत्र में बड़े ही मनोहर ढग में किया गया है, इस प्रकार यदि हम सिद्धार्थ की दिनचर्या का अध्ययन करते हैं तो वह बहुत ही भव्य मालूम होती है। पिता के इन संस्कारों का प्रभाव महावीर के जीवन पर अवश्य पड़ा होगा, इन सब बातों से यह भी मालूम होता है कि, उस समय उनके आसपास का वायुमण्डल बहुत ही शुद्ध और पवित्र था। शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक उन्नति के सव साधन उनको प्राप्त थे। ऐसा मालूम होता है कि, भगवान महावीर की शारीरिक सम्पति तो बहुत ही अतुल होगी। कदाचित इसी कारण उनका नाम "वर्धमान" से महावीर पड़ गया हो। ___महावीर स्वामी की शिक्षा प्रवन्ध वगैरह के विषय में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हमारे शारों में उन्हें जन्म से ही, मति, श्रुति, अवधि ज्ञान के धारक माने हैं। इस