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उनका विवाह हुआ था, और उस विवाह से उनको एक कन्या भी हुई थी । महावीर की पत्नी का नाम यशोदा और कन्या का नाम प्रियदर्शना था । ऐसी हालत में विद्वान् क्या करें " किसको झूठा माने और किसको सञ्चा" उनके पास कोई ऐसा प्राचीन शिलालेख या ताम्रपत्र तो है ही नहीं जिसके बल पर वे निर्द्वन्दता-पूर्वक एक को झूठा और दूसरे को सच्चा कह दें। ऐसी हालत में सिवाय अनुमान प्रमाण के और कोई आधार शेष नहीं रह जाता ।
भगवान् महावीर
ज्या
इस स्थान पर हम कल्पसूत्र आदि प्राचीन ग्रन्थों और अनुमान के आधार पर महावीर के जीवन से सम्वन्ध रखने वाली कुछ बातों का विवेचन करेंगे । इस भाग में उनके जीवन का वही भाग सम्मिलित रहेगा जो मनोविज्ञान सं सम्वन्ध रखता है । शेष बातें पौराणिक खण्ड में लिखी जायंगी ।
यह बात प्रायः निर्विवाद है कि भगवान महावीर संसार के बड़े से बड़े पुरुषों में से एक हैं । इतिहास में बहुत ही कम महापुरुष उनकी श्रेणी में रखने योग्य मिलते है । लेकिन भारत के दुर्भाग्य से या यों कहिये कि हमारी अन्धश्रद्धा के कारण हम लोग उन्हें मानवीयता की सीमा से परे रखते हैं । हम लोग उन्हें अलौकिक, मर्त्य लोक की श्रृष्टि से बाहर और दुनियाँ के स्पर्श से एकदम मुक्त मानते और इसी कारण हम लोग महावीर की उतनी कद्र नहीं कर सके जितनी हमे करना चाहिये । महावीर के जीवन का महत्व इसमें नहीं है कि वे अलौकिक महापुरुष की तरह पैदा हुए और उसी
हैं
।