________________
मनोवैज्ञानिक खण्ड
पहला अध्याय
OPEOS
ऐसा मालूम होता है कि ईसामसीह से लगभग छः सौ
वर्ष पूर्व सारे भूमण्डल के अन्तर्गत एक विलक्षण
प्रकार की मानसिक क्रान्ति का उद्गम हुआ था। सारी मनुष्यजाति के मनोविकागें में एक विलक्षण प्रचार की स्वतंत्रत्य भावना का एक विलक्षण प्रकार के बन्धुत्व का पादुर्भाव हो रहा था। सारे संसार के अंतर्गत एक नवीन परिपाटी का जन्म हो रहा था।
इसी काल में यूरोप के अन्तर्गत प्रसिद्ध तत्त्वज्ञानी "पैथेगोरस" का पादुर्भाव हुआ । इसका जन्म सभ्य यूनान की सुंदर भूमि पर हुआ था। इसने सारे संसार को एकता का दिव्य सन्देश दिया। शायद उसके पूर्व यूरोप अथवा यूनान के अन्त
र्गत अनेकत्व की भावनाओं का प्रचार हो रहा होगा, भारतवर्ष । की ही तरह वहां पर भी सामाजिक अशान्ति का दौरादौर होगा
और सम्भवत. इसी कारण इस तत्त्वज्ञानी ने अपने दिव्य सन्देश के द्वारा लोगों की उन संकीर्ण भावनाओं को नाश करने का प्रयत्र किया होगा।