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धर्म और नीति (साधना) ८६
२६४ सर्प जैसे एकाग्र दृष्टी से चलता है वैसे एकाग्र दृष्टि से चारित्र। धर्म का पालन बहुत ही कठिन है।
२६५ जैसे लोह के जवो को चवाना कठिन है वैसे ही सयम साधना का पालन भी कठिन है।
२६६ उपयोग (विवेक) शून्य साधना केवल द्रव्य है, भाव नहीं।