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श्रद्धा
२४२ सद्धा परमदुल्लहा
२४३ जाए श्रद्धाए निक्खंतो तमेव अणु पालेज्जा विजहित्ता विसोत्तियं
२४४ वितिगिच्छा समावन्नेणं अप्पाणणं नो लहई समाहिं
२४५ कह कह वा विति गिच्छतिण्ण
२४६ अदक्खू व दक्खु वाहियं सद्दहसु
२४७
संसयं खलु सो कुणइ जो मग्गे कुणइ घर