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अध्यात्म और दर्शन ( आत्मा ) १७७
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मनुष्यो । जागो जोगो, अरे तुम क्यो नही जगते ? परलोक में अन्तर्जागरण प्राप्त होना दुर्लभ है । वीती हुई रात्रियाँ कभी लौट कर नही आती पुनः मानव जीवन पाना आसान नही है अत. अपने आपको समझिए ।
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भावना योग से जिसका अन्तरात्मा शुद्ध हो गया है वह पुरुष जल मे नाव के समान माना गया है, जैसे तीर भूमि को पाकर नाव विश्राम करती है इसी प्रकार वह मानव सब दुखो से छुटकारा पा जाता है ।
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जो एक आत्म स्वरूप को जानता है, वह सब कुछ जानता है।
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मैंने सुना है और अनुभव किया है कि बन्ध और मोक्ष तुम्हारी आत्मा पर ही निर्भर करता है ।
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जो आत्मा है वह विज्ञाता है जो विज्ञाता है वही आत्मा है ।
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मनुष्य जीवन पाकर कर्मों से क्या लेना-देना है ? यदि इस बार
युद्ध
नर जन्म मिलना कठिन है ।
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करो, बाह्ययुद्धो से तुझें चूक गए तो युद्ध के योग्य