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________________ (७९) उत्तर - आकाश अमूर्त है, और घट, पट आदि पदार्थ मूर्त माने गए है । जैसे मूर्त घट का अमूर्त आकाश के साथ सम्बन्ध चलता है वैसे ही अमूर्त जीव का मूर्त कर्म के साथ सम्बन्ध रहता है । 1 मूर्त अमूर्त पर कैसे छा जाता है ? यह एक उदाहरण से समझिए आकाश अमूर्त है, और अन्धेरो मूर्त है । जब अन्धेरी चलती है तो अमूर्त आकाश पर छा जाती है, सर्वत्र अन्धकार व्याप्त हो जाता है । आकाश सर्वथा निर्मल और स्वच्छ होता है, किन्तु अन्धेरी उसे धुलिमय वना देती है । वेसे ही श्रात्मा अमूर्त होने पर भी मूर्त कर्म से आच्छादित हो जाती है । प्रश्न - मूर्त वायु और ग्रग्नि का जैसे आकाश पर काई प्रभाव नही पडता है, उसी प्रकार मूर्त कर्म का भी अमूर्त ग्रात्मा पर कोई प्रभाव नही पडना चाहिए ? उत्तर - मूर्त पदार्थ का अमूर्त पदार्थ पर कोई प्रभाव नही पडता है । यह कोई सिद्धान्त नही है । क्योकि देखा जाता है कि मूर्त पदार्थ अमूर्त पदार्थ पर पूर्णतया अपना प्रभाव डालता है। आत्मा प्रमूर्त है, उसका ज्ञान गुण भी अमूर्त है, मदिरा, भाग आदि मादक पदार्थ सेवन करने पर वह विकृत हो जाता है । इस से स्पष्ट है कि मूर्त पदार्थ अमूर्त पदार्थ को प्रभावित किए बिना नही छोडता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उस पर अपना प्रभाव अवश्य डालता है । जैसे आत्मा के अमूर्त ज्ञान गुण पर मूर्त मदिरा, विष, औषध आदि पदार्थों का असर पडता है, वैसे हो अमूर्तं जीव पर मूर्त कर्म भी अपना प्रभाव दिखलाता है । इसके अलावा जैनदर्शन आत्मा को कथञ्चित् मूर्त भी मानता है । I
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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