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है। ऐसे पानी,शरवत आदि पेय पदार्थो की मर्यादा करना।
१३. भक्षणविधिप्रमाण-नाश्ते के रूप मे खाए जाने वाले मिठाई आदि पदार्थों की अथवा पकवान की मर्यादा करना।
१४. ओदनविधिप्रमाण यहां प्रोदन शब्द से उन द्रव्यो का ग्रहण करना इष्ट है, जो विधिपूर्वक उबाल कर खाए जाते है। जैसे चावल, खिचड़ी आदि, इन की मर्यादा करना।
'१५ सूपविधिप्रमाण-सूप गब्द से मूग, चना आदि सभी दालो का वोध होता है । मूग, चने आदि की दालों की मर्यादा करना।
१६. विकृतिविधिप्रमाण-विकृति शब्द दूध, दही, घृत, तैल, गुड, शक्कर आदि का परिचायक है। इन सव की मर्यादा करना। ' १७ शाकविधिप्रमाण-गाक,सब्जी आदि शाक की जाति का परिमाण करना । ऊपर के पन्द्रहवे बोल मे उन दालो का ग्रहण है, जो अन्न से बनती है। शेष सूखे या हरे साग का ग्रहण शाकपद से होता है।
१८ मधुरविधिप्रमाण-आम, जामुन, केला, अनार आदि हरे फल और दाख, बादाम, और पिश्ता आदि सूखे फलो की 'मर्यादा करना।
१९. जेमनविधिप्रमाण-जेमन शब्द रोटी, पूरी आदि क्षुधा-निवारक पदार्थो का बोधक है या बडा, पकौड़ी आदि का बोधक है। इन सब पदार्थों की मर्यादा करना।
२०. पानीयविधिप्रमाण-गीतोदक, उष्णोदक, गन्धोदक या खारा पानी, मीठा पानी आदि पानी के अनेकों भेद है, इन