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(११६) . जोडे उतारे ? तो प्रश्न उपस्थित होता है कि क्या आजकल ईश्वर कही चला गया है ? क्या कारण है कि आज ईश्वर पहले की भाति मनुष्यो का उत्पादन नही कर रहा । ऐसी स्थिति मे आप को यह मानना पडेगा कि ईश्वर यदि पहले ३२-३२ वर्षों के जोडे तिब्बत के पहाड पर उतार सकता था तो आज भी ऐसा कर सकता है। परन्तु ऐसा हो नही रहा है । इसी से यह सिद्ध होता है कि ईश्वर ने ३२-३२ वर्षों के जोडे कभी उत्पन्न नही किए। मनुष्य जैसे पहले पैदा होता था, वैसे ही आज होता है, उस के लिए ईश्वर को माध्यम बनाने की कोई आवश्यकता नही है। मनुष्य की बात तो जाने दीजिए, वृक्ष और अन्य वनस्पति का भी विना बीज के जन्म नही होता, तो मनुष्य अपने-आप आकाश से कैसे टपक पड़ा ?
जगत अनादि हैजैनदर्शन का विश्वास है कि यह जगत अनादि और अनन्त है, ईश्वर या किसी अन्य दैविक शक्ति ने इसका कभी निर्माण नही किया और न कभी यह किसी से आमूलचूल नष्ट किया जा सकेगा। यह सत्य है कि ससार मे नाना-विध उतार-चढाव आते रहते है । जहा कभी नगर बसे हुए थे, आज वहा वीरान है, मनुप्य तो क्या पशु पक्षी की भी गन्ध नही है । "यहा कभी पहले नगर था" इस सत्य का साकेतिक चिन्ह भी प्राप्त नहीं हो रहा । जहा कभी सुन्दर-सुन्दर पुष्पवाटिकाए थी, पुप्प और फलो से भरे लहलहाते हुए उद्यान थे, वहा ग्राज शमशान जल रहे है, मानव की हड्डियो के ढेर लग रहे