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राजकुमार से भिक्षु । भीष्म-प्रतिज्ञा। जन्म-भूमि से प्रस्थान। सहृदयता के अमर प्रतिनिधि । उपसर्गो की छाया तले । इन्द्र की अभ्यर्थना। पाच दिव्यो की वर्षा । पांच प्रतिज्ञापो की आराधना । पावो मे चक्रवर्ती के चिन्ह । शूलपाणि यक्ष का उद्धार । अच्छन्दक पर उपकार । आधा वस्त्र भी गिर गया। चण्डकोशिक सर्प का जागरण । चण्डकोशिक एक परिचय नैया के खिवैया । गोशालक का नियतिवाद । सगम देव के उपद्रव । करुणा के के परम पावन स्रोत। जीर्ण सेठ की विलक्षण दान-भावना । राजकुमारी चन्दन वाला । कानो मे कीलियां । उपसर्ग सहिष्णुता । साधना-काल की तपस्या । इक्कीस उपमाए।
५ श्री मनोहर मुनि जी 'कुमुद' । फेवल-ज्ञान कल्याणक ८१-१३६
तीर्थडर और अवतार मे अन्तर । तीर्थसर का कार्य । समवसरण। भगवान महावीर की प्रथम देशना । गणधरो का प्रागमन । साध्वी-सघ । देवताओ की गुलामी से छुटकारा। निम्न वर्ग का उत्थान । जातिवाद से मुक्ति । नारी जाति की जागृति । दर्शन के क्षेत्र में एक नया प्रयोग। प्रचार-यात्रा। राजगृह की ओराविदेहवास, पन्द्रहवे चातुर्मास से वियालीसवे चातुम स तक पद-याना।
६. श्री मुनि नेमिचन्द्र जी महाराज निर्वाण-कल्याणक १३७-१५४
निर्वाण भूमि की अोर बढते चरण ।
निर्वाण से पूर्व भगवान की मनोभूमिका। [ पाच ]