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________________ पिता वसु और माता नन्दा थी। तीन सौ छात्रों के साथ छयालीस वर्ष की अवस्था मे श्रमणत्व स्वीकार किया । बारह वर्ष तक छत्रस्यावस्था मे रहे और चौदह वर्ष केवली अवस्था में विचरण कर बहत्तर वर्ष की अवस्था मे मासिक अनगन के साथ राजगृह के गुणशीलचैत्य मे निर्वाणको प्राप्त हुए । १० सेतार्य ये वत्सदेशान्तर्गन तुङ्गिक सन्निवेश के निवासी कौडिन्य गोत्रीय ब्राह्मण थे । इनके पिता का नाम दन्त चौर माता का नाम वरुण देवी था । इन्होने तीन सौ छात्रा के साथ छतीम वर्ष की अवस्था मे दीक्षा ग्रहण की। दस वर्ष तक छद्यस्थावस्था मे रहे और सोलह वप तक केवली अवस्था मे भगवान महावीर के निर्वाण से चार वर्ष पूर्व वासउ वर्ष की अवस्था मे राजगृह के गुणशीलचैत्य मे निर्वाण प्राप्त किया । ११, प्रभास - ये राजगृह के निवासी, कौडिन्य गोत्रीय ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम वल और माता का नाम प्रतिभद्रा था । सोलह वर्ष की अवस्था में श्रमण धर्म स्वीकार किया । ग्राठ वर्ष तक छद्मस्थावस्था में रहे और सोलह वर्ष तक केवली अवस्था मे । भगवान महावीर के सर्वज्ञ जीवन के पच्चीस वर्ष मे राजगृह मे मासिक अनशन पूर्वक चालीस वर्ष की अवस्था मे निर्वाण प्राप्त किया ! वन्दना १७० ] [ गणधर परिचय S
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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