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५८. गाया
न वा लभेज्जा निउणं सहायं __ गुणाहियं वा गुणओ समं वा। एगो वि पावाइं विवज्जयंतो
विहरेज्ज़ कामेसु असज्जमाणो॥
उत्त० अ० ३२ गा० ५
अर्थ
यदि किसी को अपने से अधिक या समान गुण वाला योग्य सहयोगी न मिले तो वह अपने आप को पापों से दूर रखता हआ और भोगों के प्रति अनासक्त रहता हुआ एकाकी ही विचरण करे किन्तु अपने मे हीन गण वाले की संगति कदापि न करे ।