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१. पूछे बिना अपनी सम्मति,
न किसी को बोलिये । दो जनों के बीच जाफर, __ व्ययं न मुंह खोलिये ॥
२. दूर जा पर भी किसी की,
न फभी निन्दा फरे । सरल हृदय से रहे,
न छल - फपट मन में घरे ।
.. इन चार बातों में छिपी,
जीवन को सच्चो सफलता । ★ महावीर ने यह सुपचन,
प्रिय शिष्य गौतम से पहा ।।