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५३. गाया
अर्थ
१०६
अपुच्छिओ न भासेज्जा
भासमाणस्स अंतरा ।
पिट्ठिमंसं न खाइज्जा मायामोसं विवज्जए ॥
दश० अ० ८ गा० ४७
साधक बिना पूछे नहीं बोले । बातें करते हुए लोगों के बीच जा कर नहीं बोले । पीठ पीछे किसी को निन्दा न करे । कपट- युक्त वाणी न बोले ।