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१. हैं जगत के प्राणी सभी,
मोह नींद में सोये हुए। हैं भोग के नश्वर सुखों में,
भान निज खोये हुए ॥ २. जगत के झूठ विभव को,
आश न पंडित फरे । ___य रहेंगे संग यह.
विश्वास न पंडित करे ॥
1. फाल फा प्रहार नियंल,
तन कभी न सह सकेगा। फाल की आन्धो में,
जीवन-दीप न यह रह सफेगा ।।
४ प्रमत्त हो फर न कभी,
संसार में ज्ञानी रहे । भारंट पक्षी को तरह.
नित सावधानी से रहे । ५. जीव या ना नही.
संसार में प्रमाद ना ! * महावीर ने यह सुरक्षन,
निर गौतम हा ॥