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१. पूर्व फर्म के दोष से,
जब जीव को दुख घेरता है । अपना कोई बनता नहीं, ___हर मित्र आंखें फेरता है ।।
२. अपना सगा परिवार,
निज को छोड़ देता है । ____नेह के सूत्र पलक में,
तोड़ देता है ।
३. स्वय हो यह आत्मा,
है दुख सारा भोगता । संग जाता है कर्म,
यह जीव को नहीं छोड़ता ।।
४. निठर है जग में कर्म,
पहन फरे दिल्गुल पना। ★ महावीर ने यह मुक्यन,
प्रिय शिव गौतम से पहा ।।