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१. अज्ञान के अन्धकार में,
जो ठोकरें हैं खा रहे । सौ बात की है बात यह,
वे दुख सारे पा रहे ।।
२
अनन्त इस संसार में,
नर सूट दुख पाता रहे । इस दुखमय संसार में. ___आता रहे. जाता रहे ।
३. नित बाध्य देते रहो,
तुम ज्ञान ऐ. प्रकाश या । * महावीर ने यह मुवचन,
प्रिय मित्र गौतम से फहा ।।