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'महक उठा कवि सम्मेलन' जब, पुस्तक जरा उठा देखी । फुलझडियाँ देखी मुक्तक सब की अजव
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गुणी 'गणेश' मुनीश्वर जी को, लखी लेखनी चकित हुआ । ऐसी सुलभी अन्य कही पर, कम ही काव्य-कला देखी । - चन्दन सुनि [पजावी ] * 'महक उठा कवि सम्मेलन' के मुक्तक आकार की दृष्टि से छोटे हैं, किन्तु मानव के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करने एव जीवन को नया मोड देने मे ये अणु से भी कम शक्तिशाली नही हैं । ये मानव मन पर जादू सा असर करने वाले हैं ।
छपाई -सफाई, आकार-प्रकार तथा कलापूर्णं आवरणपृष्ठ अत्यधिक आकर्षक है ।
- मुनि समदर्शी * ऐसी सुन्दर प्रभावोत्पादक कृति के लिए कवि को हृदय की गहराई से बधाई | - महेन्द्र मुनि 'कमल'
की तो, देखी ।
अदा
सुबह के भूले
— लेखक गणेश मुनि शास्त्री साहित्यरत्न - सम्पादक : जीतमल सकलेचा एम० ए०
प्रकाशक : अमर जैन साहित्य संस्थान, उदयपुर - मूल्य सात रुपये
* पुस्तक की भाषा-शैली प्रवाह पूर्ण और प्रभावशाली है । " रसात्मकम् वाक्य काव्य" की अनुभूति रचना को पढते समय क्षण-क्षण होती रहती है । शब्दो का सुन्दर सयोजन, वाक्यो का सुगठित स्वरूप और अभिव्यक्ति की स्वच्छता रचनाकार की मौलिक शिल्प-चेतना का प्रत्यक्ष उदाहरण है । मुझे विश्वास है कि प्रस्तुत उपक्रम जैन सत-काव्य परम्परा का वेजोड रत्न सावित होगा और आधुनिक युग के यात्रिक मानव समाज को आध्यात्मिक शान्ति का सुन्दर उपहार देगा । मुनि जी लालित्यपूर्ण साहित्य - सर्जना के लिए बधाई के पात्र हैं 1- डॉ० रामप्रसाद त्रिवेदी
आर के तलरेजा कालेज
उल्हास नगर
३ [ महा०]
प्राध्यापक