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बन्द जिन्होने कर दिखलाया, गागर मे ही दीक्षित - शिक्षित कर, पर जिनने इनको योग्य बनाया असल वधाईयां देते हैं हम,
पूज्य मुनीश्वर पुष्कर
महक उठा कवि सम्मेलन
सागर को ।
-कवयिता गणेश सुनि शास्त्री-साहित्यरत्न अमर जैन साहित्य सदन, जोधपुर
- प्रकाशक
मूल्य : एक रुपया पचास पैसे
है ।
को ।
- चन्दन सुनि [ पंजाबी ]
'महक उठा कवि सम्मेलन' एक सौ एक मुक्तको की भीनी सुरभि से महक रहा है, कवि ने अपने इन तमाम मुक्तको मे कमाल की सूझ भरदी है । व्यगोक्ति के मर्म को छूनेवाली व्यजना, लाक्षणिकता की विपुल - बहुल शृखला कल्पना की उर्वर भूमि पर युगबोध का सम्यक् समाहार उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलकारो का चमत्कार एव भावो को जन-मन तक पहुँचाने वाली भाषा का सरल सरस प्रवाह पद-पद पर छलकता नजर आता है । मुक्तक काव्य परम्परा में प्रस्तुत पुस्तक सदा सम्मान की दृष्टि से याद की जायगी ।
-श्री अमर भारती
'महक उठा कवि सम्मेलन' आधुनिक युग के समर्थ चिंतक कविरत्न श्री गणेश मुनिजी शास्त्री की एक मौलिक कृति है । इसमे कुछ तुक्तक मुक्तक ऐसे हैं, जिन्हे देखते ही जिह्वा झूम-झूम कर गुनगुनाने लगती है । काव्य-जगत मे मुनिश्री की प्रस्तुत कृति एक नयी अभिव्यञ्जना सिद्ध होगी ।
- साध्वी उज्ज्वलकुमारी
* 'भाव भाषा और शैली तीनो दृष्टियों से पुस्तक सुन्दर एव संग्रहणीय है । इसमे कविवर श्री गणेश मुनि शास्त्री के विचार और अनुभूति का सुन्दर समन्वय प्रस्तुत हुआ है ।
- विजय मुनि, शास्त्री