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- और म० युद्ध ]
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कथन उनके पाली ग्रन्थोंके विपरीत हैं ।' 'थेरीगाथा' में कहा गया है कि वे उज्जैनीकी वेश्या पद्मावती के गर्भ और सम्राट् श्रेणिक विम्बसारके औरस से जन्मे थे । इस अवस्थामें यहां यथार्थताका पता लगाना कठिन है ! प्रत्युत यही प्रतिभाषित होता है कि उपरान्त अभयकुमार जैन मुनि होगये थे, इसीलिए बौद्ध ग्रंथोंमें उनको नीचा दिखानेके लिए ऐसा वर्णन लिखा है । इसी तरह कुणिक अजातशत्रु जबतक अपने प्रारंभिक जीवनमें जैनी
ग्रंथो में
'सर्व दुष्कृत्यका
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वौद्ध होगए तब इस प्रकार
रहे थे तबतक उनका उल्लेख बौद्ध करनेवाला' रूपमें हैं । उपरान्त जब वे उनका उल्लेख नहीं किया गया है । इस परस्थितिमें यह स्पष्ट है कि अभयराजकुमार के सम्वन्धमें नही है ।
उनका उल्लेख यथार्थ
तिसपर उपरोक्त सुत्तमे जो यह कहा गया है कि भगवान महावीरने उनको सिखलाकर भेजा था, यह जैन शास्त्रोके प्रतिकूल है । जैन शास्त्र स्पष्ट प्रकट करते है कि तीर्थङ्करावस्थामे भगवान् महावीर रागद्वेष रहित थे । उनको न किसीसे राग था और न किसीसे द्वेष | उनका उपदेश अव्यावाघ, सर्व हितकारी वस्तुस्थितिरूपमें होता था ! इस कारण यह संभव नहीं कि भगवान् महावीरने म० बुद्धको नीचा दिखानेके लिये अभयकुमारको सिखाकर उनके पास भेजा हो ! तिसपर यह भी तो जरा विचारनेकी बात है कि उन्होने उन खास शब्दोको कैसे बतलाया होगा जो अशोकके
१. पूर्ववत् २ दी साम्य ऑफ दी सिस्टर्स पृष्ठ ३०. १. हम रा भगवान महावीर पृष्ठ १३५
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