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- और म० युद्ध !
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अन्य सर्व मत म ० वुद्धसे पहिलेके थे। इस तरह भगवान महावीर और म० बुद्धके पारस्परिक जीवन संबन्ध वह ही ठीक जचते है जो हम पूर्व में बतला चुके हैं । अस्तु ।
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भगवान महावीर और म० बुद्धके पारस्परिक जीवन संबन्ध तो हमने जान लिये, परन्तु भगवान महावीरको मोक्षलाभ और म० बुद्धका 'परिनिव्वान', जैसा कि चौद्ध कहते है, कब हुआ यह जान लेना भी आवश्यक है । भगवान महावीर के निर्वाणलाम कालके विषयमें तीन मत पाये जाते है । एकके अनुसार यह घटना ईसवी सन्से ५२० वर्ष पहिले घटित हुई बतलाई जाती है ।" दूसरेके मुताविक यह ४६८ वर्ष पहिले मानी जाती है । और तीसरा इसको विक्रमासे १५० वर्ष पहिले घटित हुआ बतलाता है। इनमे पहिले मतकी मानता अधिक है और जैन समाजमे वही प्रचलित है । दूसरा डॉ० जार्ल चारपेन्टियरका मत है, जिसका समुचिंत प्रतिवाद मि० काशीप्रसाद जायसवालने प्रक्ट कर दिया है और वस्तुतः वौद्ध शास्त्रो के स्पष्ट उल्लेखों को देखने हुये यह जीको नही लगता कि भगवान महावीरका निर्वाण म० दुद्धके उपरान्त हुआ हो । यह हमारे पूर्व जीवन संबन्ध विवरण से भी बाधित है । और तीसरा मत श्रीयुत पं० नाथूरामजी प्रेमीका है। उनके आधार देवसेनाचार्य
१. डिस्टॉरीकल ग्लं निन्ग्स १ष्ठ २१-३०. २. लाइफ ऑफ महावीर और जैनसूत्र (SB E भाग २ भूमिका. 3. इन्डियन एन्टीक्केरी भाग १३ । ४. रत्नकरण्ड श्रावकाचार (माणिकचन्द अन्यमाला) पृष्ठ १५० - १०२ । ५. जैनसाहित्यशोधक प्रथम खडके ४ थे अकमें ऐसा उल्लेख है। शायद यह प्रतिवाद इन्डियन ऐन्टीक्केरी भाग ४९ पृष्ठ ४३... मे. किया गया है ।