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________________ १०२] भिगवान महावीरश्रेणिक विम्बसारकी मृत्यु उस समय हुई थी जव म बुद्ध बहत्तर वर्षके थे और देवदत्त द्वारा जो बौद्ध सघमे विच्छेद खड़ा हुआ था वह इस घटनासे कुछ ही काल उपरान्त उपस्थित हुआ था। साथ ही मज्झिमनिकायके अभय राजकुमार सुत्तसे यह स्पष्ट है कि भगवान महावीरको बौद्ध सघके इस विच्छेदका ज्ञान था। दि० जैन शास्त्रोसे भी इस व्याख्याकी पुष्टि इस तरह होती है-उनमे लिखा है कि सम्राट् श्रेणिक विम्बसारकी मृत्युके साथ ही कुणिक अजातशत्रु विधर्मी-मिथ्यात्वी होगया और रानी चेलनीने भगवान महावीरके समवशरणमें जाकर आर्याचदनाके निकट दीक्षा ग्रहण की। इससे यह साफ प्रकट है कि भगवान महावीर इस समय विद्यमान थे और वौद्धोंके सामयगामसुत्त और पाटिकसत्तसे यह प्रमाणित ही है कि भगवान महावीरके निर्वाणलाभके उपरान्त कुछ कालतक म० बुद्ध जीवित रहे थे। इसलिये वह अधिकसे अधिक पाच वर्षे ही जीवित रहे होगे, क्योंकि बौद्ध और जैन दोनोंके मतसे सम्राट श्रेणिक बिम्बसारकी मृत्युके समय भगवान महावीर मौजूद थे। और जब म बुद्ध इस समय ७२ वर्षके थे तो भगवान महावीर अबश्य ही करीब ६९ वर्षके थे। इससे यह स्पष्ट है कि भगवान महावीरके निर्वाणलाभ करनेके बाद म० बुद्ध पाच वर्षसे अधिक जीवित नहीं रहे थे। इसके अतिरिक्त हम म० बुद्धके वाल्यपनके विवरणमें देख • १ इन्डियन बुद्धिस्म पृष्ट ३८-३९ २ हिस्टॉरीकल ग्लीनिन्गस पृष्ट ७८, ३ मेरा भगवान महावीर पृष्ट १५२. ४ मज्झिमनिकाय भाग २ (P. T. S.) पृष्ट २४३, ५ दीर्घनिकाय (P. T. S.) भाग ३.
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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