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जैनधर्म के उपासक थे। 'वात्य शब्द जैनियों का ही द्योतक अनुनान किया गया है। निन्मन्देह नातक जत्रिय अपने समय के विशेष सम्माननीय और प्रतिष्टित राम्कुन के रत्न थे। जैन ग्रन्थो में नाय वंश की गणना प्रारभिक नल राजवंशो में की गई है। ___ उन मातृक क्षत्रियों का निवासन्यान मुख्यत वैशाली, कुएलान, वणियगास और कोलग नामक स्थानों में था ३ वैशाली उस समय का महान् नगर था।४ चीनी यात्री ह्य न्त्साग ने उसे कई मीलों की परिधिमें फैला हुआ पाया था। उनके बागबगीचों, तालाबों. चैत्यों और राजप्रासादों का वर्णन भी उसने खूब लिखाथा ५ आजकल मुजफ्फरपुर जिले का पत्ताइ नापत्र ग्राम प्राचीन वैशाली है !
वैशालो के ही पास कुण्डग्रास और वणिवत्रान थे। यदि उन्हें वैशाली का ही भाग हा जाय तो अत्युक्ति नहीं है। यही शारण है कि यद्यपि भ नहावीर कुएडजास में जन्मे थे, परन्तु
। हमारे 'भगवान पार्श्वनाय की प्रस्तावना (पृ. ३२ से) देखो। २. पवागमसूत्र-वल्टीका, मा० ६ पृष्ट ६१२
"चारमनो चाह-वंसो दु।" ३. हानले सा०, 'उबामगदमात्रो', पृ० २ पुरनोट ३ १. सम्मत्री केन्म इन एन्शियः इढिया, पृष्ट ४० व २१ १. झुएनत्सान का भारत भ्रमण, पृष्ट ३६२-३६५ ६ कन्धिन, ऐन्टि जोगाठी माल इण्डिया, पृ. ५०० व ७१७