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(६) अङ्ग — की राजधानी चम्पा थी । वह आधुनिक भागलपुर जिला के अनुरूप था । यहाँ पहले दधिवाहन राजा का राज्य था । उपरान्त मगधाधिप कुणिक यहाँ के राजा हुये थे ।
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इस प्रकार इन सब ही राज्यों की संख्या सोलह थी । इनमें पारस्परिक स्पर्द्धा थी और प्रत्येक अपने स्वार्थ के लिये दूसरे से मोर्चा लेने के लिये हर समय तैयार रहता था । भयंकर युद्धों में व्यर्थ ही नरसंहार होता था । राष्ट्रीय भावनाओं के लिये कहीं कोई स्थान नहीं था । किन्तु भ० महावीर के अहिंसा और वीतरागता के सन्देश ने राजत्व की काया पलट दी । भ० महावीर के अनन्य भक्त मगध सम्राट् श्रेणिक विम्बसार ने राष्ट्रीय एकीकरण का महत्व समझा और वह मगध साम्राज्य को पुष्ट करके उस दिशा में अग्रशील हुये । उनका रोपा हुआ राष्ट्रीय एकीकरण का विश्वा नन्द राजाओं द्वारा सींचा जाकर मौर्य सम्राटों द्वारा खूब ही पल्लवित और विकसित किया गया । इस प्रकार थी उस समय भारत की चतुर्मुखी परिस्थिति जिस समय भ० महावीर का शुभागमन हुआ था ।