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तत्कालीन परिस्थिति "भतिशय देख धर्म की हानी, परम ममीत घरा अकुलानी )"
जल घटिका भर चुकी थी। वह मट-से तली में बैठ गई सजग प्रहरी ने घंटा बजाया। लोगों को सचेत कर दिया। घटिका को खाली करके पानी की सतह पर तैरा दिया। यह कार्यक्रन हमेशा इसी प्रकार चलता है। संसार में नित्य नये परिवर्तन होते, इसी क्रम ले देखे जाते हैं। अधुना भारतक्षेत्र में अविसपिणी का पंचम काल चल रहा है। यह दुखमा काल है। सव ही जीव इसमें क्रमश उत्तरोत्तर दुखी जीवन वितायेंगे। किन्तु भगवान् महावीर के जन्म समय यहाँ चौथे दुखमा सुखमा-काल का अन्तिम पाद था। लोगों को दुख के साथ सुख भी भोगने को मिल जाता था । समयानुसार महापुरुषों का जन्म होता था-वे विराड़ी को बना लेते थे। मनुष्यों की दुरवस्था को मिटा देते थे। यद्यपि सारा संसार एक दम धर्मात्मा नहीं होता, परन्तु इस में धर्मात्माओं का वाहुल्य और पापात्माओं का अत्यत्व होता है। यही स्वर्णकाल है। भगवान् महावीर के जन्म समय भारत इस स्वर्णकाल की प्रतीक्षा कर रहा था। ___मनुष्यों के तत्कालीन कृत्यों से ही देश-दशा में परिवर्तन होते हैं । यदि मनुष्यों के कर्म शुभ होते हैं तो उनकी दशा उत्तम होती है। और यदि मनुष्य बरे कर्म करने में फंस जाते हैं