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________________ ( २८७ ) वहाँ बुद्धदेव के मुख्य शिष्य आनन्द को यह खबर सुनाई । आनन्द ने इस घटना के महत्व को झट अनुभव कर लिया और कहा, 'मित्र चंड, यह समाचार तथागतके समक्ष लाने के योग्य है, अत: हमे उनके पास चलकर यह खबर देना चाहिये ।' वे बुद्ध के पास गये, जिनने एक बड़ा उपदेश दिया । अत. यह स्पष्ट है कि म० बुद्ध के जीवन मे ही वीर निर्वाण घटित हुआ था । बौद्धजगत में गौतमबुद्ध का परिनिर्वाण संवत् प्रचलित है । उसकी गणना ई० पू० ५४३ से की जाती है । स्व० विन्सेटस्मिथ सा ने भी म बुद्ध की परिनिर्वाण तिथि ईस्वी पूर्व ५४३ लिखी है । २"महावोधी सोसायटी कलकत्ता" ने इसी मत के अनुसार बुद्ध संवत् प्रचलित लिखा है । अतएव ५४३ ई० पूर्व के पहले भ० महावीर का निर्वाण हुआ मानना उचित जंचता है । परन्तु म० बुद्ध के परिनिर्वाण तिथि के विषय मे भी एक मत नही है इसलिए इस गणना के अनुसार निश्चित मत भी निर्भ्रान्त नहीं कहा जा सकता | ३ श्रेणिक विम्बसार और भ० महावीर के सम्बन्ध पर विचार करने से यह स्पष्ट है कि वह भ० महावीर से आयु मे अधिक थे, क्योंकि बौद्धग्रथों से म० बुद्ध और उनका समवयस्क होना सिद्ध है४ और यह हम देख ही चुके है कि म० बुद्ध भ० महावीर से आयु मे बड़े थे । शायद यही कारण है कि जैन ग्रन्थो मे १. पासादिक सुतन्त, Dialogues of Buadha, III, 112. २. Early History of India, ( IV. ed.) p. 34 ३. पहले हमने पौद्ध परिनिर्वाण के आधार से वीर निर्वाण ई० पूर्व ५४१ में निश्चित किया था, परन्तु उसे निर्भ्रान्त मत नहीं कह सकते हैं। ४. वीर निर्माण संवत् और जैन कालगणना पृ० १ T
SR No.010164
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Parishad Publishing House Delhi
PublisherJain Parishad Publishing House Delhi
Publication Year1951
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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