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वीरेश्वर के सिद्ध होने के १४७६३ वर्ष बाद शक राजा हुआ, यह भी पाठान्तर है और यह भी मत है कि वीर भगवान् के निवाण के ६०५ वर्ष और ५ महीने वाद शक राजा हुआ।" इतने पर भी यह निश्चित है कि वीर निर्वाण की पण्यमई घटना को लक्ष्य करके समय का निर्देश करने की परिपाटी प्राचीन है । वह एक सम्वत् का ही प्रतिरूप है, क्योंकि वीर निवोणाव्द ८४ का एक शिलालेख बाड़ली नामक ग्राम से मिला है, जिसमे 'माध्यमिका नगरी' मे किसी कार्य के होने का उल्लेख है। ईस्वी पूर्व चौथी शती से दूसरी शती तक माध्यमिका मे जैनधर्म का प्रावल्य था १ । वहाँ से वीर निर्वाण द्योतक उल्लेख मिलना इस बात की साक्षी है कि वीर निर्वाणाव्द का प्रयोग तब भी जैन जनता द्वारा हुआ था । किन्तु हत्भाग्य से ऐसा कोई उल्लेख उपलब्ध नहीं है जिसके आधार से वीर निर्वाणाव्द की निश्चित गणना निर्धान्त सिद्ध हो सके। ___ इस दशा में केवल एक मार्ग ही अवशेष है और वह है भ० महावीर का सम्बन्ध उनके समकालीन महापुरुषों से स्थापित करना । उनके समकालीन प्रख्यात् पुरुषों मे म. गौतमबुद्ध, सम्राट् श्रेणिक विम्बसार और अजातशत्र प्रमुख थे। म० गौतमबद्ध के विषय मे ज्ञात है कि उनकी आय अस्सी वर्ष की थी और उनका परिनिर्वाण सम्राट अजातशत्रु के राज्यकाल के आठवें वर्ष में हुआ था । पालीपिटक ग्रंथों के अन्तर्गत 'जटिलसुत्त' मे ही पहले २ भ० सहावीर का उल्लेख हुआ मिलता है।
चोहस सहस्स सगसय तेणउदीवास काल विच्छेदे । वीरेसरसिद्धीदो उप्पएणो सगणिो अहवा ।।
॥ पाठान्तरं ॥ त्रिपृ० १. राइ० ११३५८