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है ? (6) उसका कौनसा जन्म है ? (3) वह किस तरह का वर्ताव करे ? (४) इस जन्म में उसका हितकारी कर्म क्या है ? (५) परलोक के लिये उसका हित किसमे है ? (6) उसका अपना ज्या है ? (७) और उससे भिन्न अन्य क्या है ? जो विवेकवान् व्यक्ति इन प्रश्नों पर ध्यान नहीं देता और अत्मा के स्वरूप को नहीं पहिचानता. उसके सब ही व्यवहार और कार्य संसार दुख को बढ़ाने वाले होते हैं। वह न अपना भला कर सकता है और न लोक का ! समय का जिसे जान नहीं.वह जीवन के मूल्य को नहीं आंक सकता । समय बड़ा वलवान है । अनुकूल समय पर ही श्रम से बोया गया बीज फल देता है।मानव समय की स्थिति को जानकर के अपने ऐहिक जीवन का लेखा-जोखा करे, तो ही वह जीवन में सफलता पा सकता है। मानव का जन्म सर्वश्रेष्ठ लाम है। मनन करने की शक्ति पाने के कारण ही वह मानव हना है । अतः अपने मानव जन्म की सार्थकता के लिये मानव को मनन करना उपादेय है। अपने जन्नगत स्थिति का ठीक परिचय पाकर ही वह आत्मगौरव अनुभव करता और अपने पूर्वजों के पदचिन्हों पर चलने के लिये तत्पर होता है। इस प्रकार न्वात्माभिमान को लेकर ही मानव अपने आसपास के नायियों ने ऐमा बर्ताव करता है, जिसमें सब सुखी होते और गौरव अनुभव करते हैं । 'वयं जीयो और अपने साथियों को जीवित रहने दो-यह तो सामान्य नियम है प्रकृति का! चिन्नु मानव नो विशिष्ट व्यक्ति है। उसकी विशेषता इसी में
कि यह दूसरों को मफल जीवन बिताने में सहायक हो ।