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जिनेन्द्र की साभिषेक पूजा सहित उसको पालन किया । उसी व्रत का माहात्म्य है कि वे लोकवन्दनीय गणधर हुये! अतः आत्मशुद्धि के लिये गृहस्थ को भक्तिवाद का अवलम्बन विवेक पूर्वक लेना कार्यकारी है । भ० महावीर के दशन करके लोक ने इस को जाना था।