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अाभार-प्रदर्शन
अन्त मे हम उन सभी प्राचार्यों और साहित्यकारों का आभार स्वीकृत करते हैं, जिनकी अमूल्य रचनाओं के आधार से हम यह अन्य रचने में सफल हुये हैं। साथ ही हम जैन सिद्धान्त भवन, आरा और इम्पीरियल लायब्रेरी कलकत्ता के अध्यक्षों के भी आभारी हैं, जिन्होंने आवश्यक साहित्य उपस्थित करके हमारे प्रयास को सफल बनाया। दक्षिण जैन ममाज के रत्न श्रीमान् मञ्जय्य हेगहे सा0 M. L. A. धर्मस्थल को भी हम भुला नहीं सकते, जो एक प्रतिष्टित कलाकार हैं। आपने हमारे अनुरोध पर भ० महावीर का सुन्दर चित्र बनाकर प्रस्तुत ग्रन्थ का सौन्दर्य बढा दिया है। हम उन्हे बन्यवाद समर्पित करते हैं।
हिन्दी प्रागण के लव्ध प्रतिष्ट महारथी श्रीमान् डा. वासुदेव शरणजी अग्रवाल, एम० ए०, डी. लिट् ने इसकी भूमिका लिखकर हमे कृतार्थ किया । इस कृपा के लिए हम उनका भी अाभार स्वीकार करते हैं।
पाठकगण इसके पाठ से लाभान्वित हुये, तो ही हम अपना प्रयास सफल हुआ मानेंगे । इतिशम्
अलीगंज, (एटा) श्रत पंचमी २४७७,
विनीतकामताप्रसाद जैन