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( १५२ ) से प्रतापी राजा को यह असह्य था। वह बुद्धिमान भी थे। कौशल और वृजि राष्ट्रों की सीमाये मगध से सटी हुई थीं। वृजियों और कौशलों ने जब नृप चेटक के नेतृत्वमे मगध पर आक्रमण किया तो श्रेणिक ने उनसे सन्धि कर ली | अपने पड़ोसियों से वैर अच्छा नहीं होता, यह साधारण नीति है। उपरान्त अगदेश को जीतकर उन्होंने मगध साम्राज्य की समृद्धि की नींव डाली | आस पास के छोटे २ राज्यों को जीतकर उन्होंन संगठित रूप में मगध राज्य की उन्नति का सूत्रपात किया। वह मगध साम्राज्य के सच्चे संस्थापक थे। इस राज्यवृद्धि को लक्ष्य करके ही उन्होंने अपनी राजधानी-राजगह फिर से वसाई थी।२
जैनशास्त्रों में लिखा है कि उनके राज्य करते समय न तो राज्य में किसी प्रकार की अनीति थी और न किसी प्रकार का भय ही था । प्रजा अच्छी तरह सुखानुभव करती थी। वह जनपदों के पालक, उनके पिता और पुरोहित, दयाशील एवं मर्यादाशील थे। दानवीर भी खव थे। सम्मेद शिखर पर्वत पर उन्होंने जिननिषधिकायें बनवाई थीं ३ और अन्य मन्दिर निर्मापे थे। राजगृह के पुराने खंडहरों से उनके समय की मूर्तियां आदि मिली हैं।
श्रेणिक जन्म से जैनी नहीं थे। उनके पिता राजा उपश्रेणिक ने जब उन्हें मगध से निर्वासित कर दिया था, तब वह कुछ दिनों वौद्धमठ में जाकर रहे थे और बौद्ध हो गए थे। घूमते१. 'उत्तरपुराण' में उल्लेख है कि चेटक सेना सहित मगधपुरी ___ पहुँचा था। ( कदाचिच्चेटको सत्ता ससेन्यो मागम पुरं।) २. संइ० मा. २ खंड १ प० १४-15 ३. ऐशियाटिक सोसाइटोजर्नल, जनवरी १८२४