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नग्नता ( दिगम्बर भेष ) की मान्यता विशेष थी ।१
बौद्ध लोग वैशाली के सेनापति सिंह को भ० महावीर का अनन्यभक्त प्रगट करते हैं । श्राविका नन्दोत्तरा को वह प्रसिद्ध वादी बताते हैं - वह तुल्लिका थी !२
इस प्रकार भ० महावीर का चतुर्निकाय संघ अपनी व्यवस्था, धर्मपरायणता और लोकोपकार के लिये प्रसिद्ध था । जैन सघ अपनी विशेषताओं के कारण आज भी भारत में विद्यमान है, यद्यपि जैनेतर लोगों ने उसको नष्ट भ्रष्ट करने के लिये कभी कुछ उठा नहीं रक्खा था । किन्तु जैनधर्म का आधार विशुद्ध धर्मज्ञान है | अतः वह यावचन्द्र दिवाकर रहा और रहेगा !
१. ईऐ, भाग १ पृ० १६२ २. नमघु०, पृ० २१