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" - सामाजिक संदर्भ
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- कम्मरणा वंभरणो होइ, कम्मरणा होइ खत्तियो । ' ' .
कम्मुरणा वइसो होइ, सुदो हवइ कम्मुणा ।। राजनीति में सत्य-अहिंसा का प्रयोग : ' ' महात्मा गांची सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। उन्होंने जीवन के विकास के ग्यारह नियम बताए थे-सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्वाद, अस्तेय, अपरिग्रह, अभय, अस्पृश्यता निवारण, शरीर श्रम, सर्वधर्म समभाव और स्वदेशी । सत्य-अहिंसा में इन सभी का अन्तर्भाव हो जाता है । ये सभी नियम जैन धर्म में मिलते हैं।
वापू ने अहिंसा का अर्थ किया है-प्रेम का समुद्र और वैर-भाव का सर्वथा त्याग । उनकी दृष्टि में अहिंसा वही है जिसमें दीनता और भीरुता न हो, डर-डर के भागना भी न हो। वहां तो दृढ़ता, वीरता और निश्चलता होनी चाहिए। : : 'सत्य और अहिंसा का सफल प्रयोग वापू ने राजनीति के क्षेत्र में भी किया । इतिहास में शायद यहे प्रथम अवसर था कि जब सत्य और अहिंसा के बल पर इतना बड़ा स्वातन्त्र्य संग्राम लड़ा गया हो। उन्होंने सत्याग्रह का मूल सत्य और आत्मा की अन्तःशक्ति को स्वीकार किया है । इसलिए राजनीतिक संघर्ष का उन्होंने आत्मिक राजनीति नाम दिया ।। अतः उनकी अहिंसा व्यक्तिगत न होकर सामाजिक और देश-विदेश की समस्याओं का हल करने का एक अनुपम उपकरण था । सत्य और परमेश्वर:
परमेश्वर के स्वरूप को बापू ने अनादि, अनन्त, ज्ञान-रूप और वचनमगोचर माना है। उसके साक्षात्कार को जीवन का ध्येय स्वीकार किया है । जीवन के दूसरे सब कार्य इस ध्येय को सिद्ध करने के लिए होने चाहिए। वापू के अनुसार परमेश्वर के लिए यदि हम एक छोटे शब्द का प्रयोग करना चाहें तो वह है सत्य । निष्काम कर्मठता:
वापू निष्काम कर्मठता की प्रतिमूर्ति थे । जैन धर्म का हर सिद्धान्त निष्काम कर्मठता की शिक्षा देता है । नापू को यह शिक्षा वाल्यावस्था से ही प्राप्त हुई थी जिसका उपयोग उन्होंने वाद में स्व-पर की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में किया। .
श्री गौरीशंकर भट्ट ने लिखा है-"स्वातन्त्र्य संग्राम की प्राप्ति में निष्काम कर्मठता की आवश्यकता होती है। यह निष्काम कर्मउता गांधी जी को जैन धर्म से मिली। गांधी जी की सम्पूर्ण विचार धारा पारलौकिक धर्म से प्रभावित है पर उनका उत्तम पुरुप पूर्णतः लौकिक और इहजनी है। उनके विचार जहाँ अहिंसा और अपरिग्रह की भावना से ओतप्रोत हैं, वहां लोक कल्याण की भावना भी उनमें कूट-कूट कर भरी हुई है । सत्याग्रह इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है । सत्यकाम के लिए सदैव अहिंसात्मक आग्रह और असत्य धर्म के 1-गांधी : व्यक्तित्व, विचार और प्रभाव : काका कालेलकर, पृष्ठ ५३६. । 2-गांधी विचार दोहन, पृष्ठ १ । 3-वही, पृष्ठ ३६ ।