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जीवन, व्यक्तित्व और विचार
अपनी शक्तियों को विकसित करता रहे, तो ग्रात्म कल्याण में कोई बाधा नहीं है । वेंक में ही धर्म है ।
भगवान् महावीर ने समय मात्र भी प्रमाद न करने का उपदेश दिया है । ग्रात्मविस्मृति जागरुकता का प्रभाव ही प्रमाद है । समय बहुत ही सूक्ष्म है । आयु प्रतिक्षण क्षीण होती चली जा रही है । ग्रतः व्यर्थ की बातों में समय वर्वाद न कर प्रत्येक समय का सदुपयोग किया जाय । महावीर के उक्त सन्देश सार्वभौम एवं सार्वकालिक हैं ।
मानव जीवन को उच्च और आदर्श बनाने के लिए तथा विश्व में शान्ति स्थापित करने के लिए ये सन्देश बहुत ही उपयोगी हैं । प्रत्येक व्यक्ति उन्हें आचरण में लाए और दूसरों को भी उन्हें अपनाने के लिए प्रेरणा करें तो ये व्यक्ति विशेष के लिए ही नहीं, सभी. के लिए समान रूप से लाभदायक हैं ।