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मानसिक स्वास्थ्य के लिए महावीर ने यह कहा
वले जह भार वाहए, मामगो विसयेऽव गाहिया । पच्छा पच्चाणु तावए, समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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घुमावदार विषयमार्ग को छोड़कर तू सीधे और साफ मार्ग पर चल । विषय मार्ग पर चलने वाले निर्वल भारवाहक की तरह बाद में पछताने वाला न वन । हे गौतम! क्षणमात्र भी
प्रमाद न कर ।
इस प्रकार भगवान् महावीर ने स्थान-स्थान पर मन के विविध विकारों को दूर करने का उपदेश देते हुए मानसिक स्वास्थ्य का पथ प्रशस्त किया है । मानसिक रूप से स्वस्थ पुरुष शरीर से भी स्वस्थ रहेगा । साथ ही सामाजिक स्वास्थ्य के लिए भी, जिसके कि प्रभाव में आज समाजवाद व साम्यवाद के लुभाने वाले नारों की ग्राड़ में जनता सभी प्रकार के कलेशों से संत्रस्त है, महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है । आज के युग के संदर्भ में महावीर स्वामी के उपदेशों का विवेक पूर्वक मनन कर परिपालन करने की दिशा में अग्रसर होना अत्यन्त ग्रावश्यक है ।