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महावीर वाणी : सही दिशा-बोध
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से देश का हर नागरिक संतप्त है । अफसोस इस बात का है कि इस महामारी से पीड़ित रहकर भी इसे दूर करने की ओर हम प्रवृत्त नहीं हो रहे हैं । हम लौकिक उत्थान चाहने वाले जीवन में श्रेय की अपेक्षा प्रेय का अनुसरण करने वाले इस बात को भूल रहे हैं कि जैन-धर्म में नैतिक उत्थान का जो आदेश है उससे न केवल हमारे जीवन में समृद्धि व सुख का ग्राविर्भाव होगा वल्कि हम आनन्द के गुप्त स्रोतों का भी उद्घाटन कर पायेंगे । जिनेन्द्र की वारणी में यह शक्ति है कि वह आधुनिक विज्ञान के प्रभा-मण्डल में रहने वाले मनुष्य पर सीधा प्रभाव डाल सकती है । जैन धर्म की विज्ञान सम्मत धारणाओं, स्यादुवाद व अनेकांतवाद की दार्शनिक अवधारणात्रों का इस बीसवीं सदी के मनुष्य के लिये सामयिक महत्त्व है । हजारों वर्ष पुरानी जिनेन्द्र को उस वारणी में आज की दुःख-दग्ध मनुष्यता के लिये सामयिक सन्देश है ।
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