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महावीर की शान्ति से माज के कान्तिकारी क्या प्रेरणा लें?
• श्री मित्रालाल सुरड़िया
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क्रान्ति की चेतना :
स्वातन्त्र्य संग्राम के सेनानियों ने आजादी के लिए जो क्रांति की थी, वह देश के लिए मंगल-मूत्र का संकेत बनी थी, किन्तु फिरंगियों ने उस क्रांति को बगावत मानकर गद्दारी की सजा दी । इसमें उनका स्वार्थ था । सचमुच वह क्रांति न बगावत थी न कोई उपद्रव था । वह जो कुछ किया जा रहा था, राष्ट्र-हित के लिए ठीक था । उस क्रांति ने देशवासियों की करोड़ों सुपुप्त प्रात्मा प्रों को जगाया था। इस क्रांति का मुख्य उद्देश्य जन-जन में चेतना फैलाना था देश-गौरव, देश-प्रेम, एकता और मैत्री का जन-जीवन में शंखनाद फेंक कर सोये हुये मानम को आंदोलित करना था । क्रांति के अंतराल में स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य और भविप्य के उज्ज्वल सुख की आकांक्षाएं थीं, स्वाभिमान की रक्षा थी, देश को प्रात्मनिर्भर बनाकर ऊंचा उठाना था। इसके अतिरिक्त न कोई स्वार्थ था, न कोई लालत्र था। सच तो यह है कि वह क्रांति दमन से बढ़ी, कप्टों, अत्याचारों और क्रोड़ों की मार से फैली और फांसी से देश व्यापी हुई। महावीर की क्रांति का वैशिष्ट्य :
किन्तु अहिंसक क्रांति के सृष्टा महावीर की क्रांति न केवल समाज के लिये, न फेवल देश के लिये और न केवल धर्म के लिये थी । उनकी क्रांति थी मानव मात्र के लिये। एक का क्षेत्र सीमित था और दूसरी का क्षेत्र अखण्ड विश्व था।
___ महावीर की शांति पावण्ड का भण्डा फोड़ करने, छुवाछूत मिटाने, अहंकार और प्रमाद तोड़ने, निष्क्रियता हटाने, राग-द्वेप दूर करने, मैत्री स्थापित करने, सड़े-गले ढांचों को बदलने, नमाज और धर्म को नया न्य देने, विहरी कड़ियां जोड़ने, भाई-भाई को गले लगाने, विश्वास बढ़ाकर प्रेम फैलाने और जीवन-विकास की सभी व्यवस्थाएं प्रानन्दनय बनाकर जन-जीवन में सुख-शांति, न्याय और स्नेह फैलाने के लिये थी। इस क्रांति में न द्रोह था न हिना थी, न कोय था न दर्प था, न किसी के प्रति ई थी, न किसी का अहित था, न किती का स्वार्थ था, न किसी पार्टी विशेप या धर्म विशेप को नीचा दिखाना था। जो था वह वास्तविक सत्य के समीप था।