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राजनीतिक संदर्भ
भगवान् महावीर के अहिंसा तथा समानता पर ग्राधारित समाज की परिकल्पना भी भारत में प्रजातंत्रीय शासन पद्धति मे समाजवादी समाज व्यवस्था का निर्माण कर साकार की जा रही है ।
समझदारी की भाषा :
भगवान् महावीर के पश्चातवर्ती वर्षो में उनके अनुयायियों द्वारा शास्त्रों, रूढ़ियों तथा परम्परा के बन्धनों में बंधी-वधायी अहिंसा को आधुनिक युग में महात्मा गांधी ने नया स्वरूप दिया । गांधीजी ने उसे बिना रक्तपात के ग्राजादी की लड़ाई का मोव उपाय बताया। उन्होंने समाज में श्रम को पुनः प्रतिष्ठित किया । शोपण और छल के विरोध में सात्विक जीवन का मार्ग बताया । ग्रसहयोग अथवा सविनय ग्रवजा का एक ऐसा अहिंसक रास्ता खोज निकाला कि गुलामी की जंजीरें भी टूट पड़ीं । सत्याग्रह का सिद्धांत तो युग के अहिंसावादियों के लिए वरदान बन गया। यद्यपि श्राज भी हिरोशिमा और नागासाकी पर किया गया बम प्रयोग मानव में स्थित पशुता का भान कराता है,' तथापि ग्रन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, सद्भाव एवं विश्व बंधुत्व के वढने चरण निश्चय ही श्रमण भगवान् महावीर के सिद्धांतों का ही व्यापक रूप है । राष्ट्रों में समझदारी की सामान्य भाषा का विकास शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के सिद्धांतों की विजय का परिचायक है ।
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भगवान् महावीर की ग्रहिंसा केवल ' जीयो और जीने दो' तक ही सीमित नहीं है । वह तो विश्व मैत्री का विराट रूप धारण करके अखिल विश्व को अपनी गोद में समेट लेती है । 'जीयो और जीने दो' से ग्रागे बढ़कर दूसरों को जीवित रखने के लिये उत्प्रेरित करती है । ग्रहिसा का विशाल चितन तो प्राणीमात्र के साथ ग्रात्म-भाव एवं बंधु-भाव की जीवित प्रेरणा प्रदान करता है । जिस दिन विश्व भगवान् महावीर के इस चिरंतन सत्य को पूर्ण रूप से स्वीकार करेगा उसी दिन वास्तविक शांति स्थापित होगी ।