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( १३८ ) वजवाए जाये, मगल मिष्ठान वितरण किया जाय। मगल गीत गाए जाये।
() निषद्या मिया-छह माह पश्चात् उत्तम आसन पर जिस पर सातिया अकित हो-उस पर-वालक को सजा धजा कर प्रथम बार बैठाया जाय । इसी दिन मे उसे बैठे रहना सिखाया
जाय।
(१०) अन्न प्राशन--नी माह व्यतीत हो जाने पर याचको को खिला पिलाकार, दानादि देकर- बालक को नन्त खिलाये । __(११) शुष्टिनिया- इसे वर्षवर्धन या सालगिरह भी कहते है। यह एक वपपर जो जन्म तिथि आती है उस दिन इन्ट बन्धु प्रो को निमवरण देना चाहिए। बच्चे का मगत सस्कार करना चाहिए ज्योति जलानी चाहिए।
(१२) केरादाप निया--पश्चात् तीसरे या पांचवे वप पर उन्नरे से बाला मुण्डन कराना चाहिए । इस क्रिया को केश चाप गिया रहते है। । (१३) लिपोरास्थान
क्यिाचवे वर्ष मे बालक को मवंप्रथम नारो का दर्शन कराने के लिए यह शिया को जाती है। इस दिन मदाचा उत्तम शिक्षक के पास बालक को भेजना चाहिए