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कर्तव्य होगा । इनके खानपान, विश्राम, विहार, पठनपाठन, आदि की व्यवस्था अपन-सबको यण शक्ति समय-समय पर करनी है।
ऐसा ब्राह्मण (ब्रह्मचारी) वर्ग हम हमारे आगन्तुक सयमी नागरिको को जो आपके सामने इधर मच पर सादा वस्त्रो मोर साम्यभावो के साथ विराजे हुए है-जिन्होने स्थादर एव अस जीवो का धात नहीं करना चाहा, जिन्होंने महारानी सुभद्रा का मन्तव्य समझ लिया था - और जो भोजन लोलुपता के बस मे नही थे उन्हें कहा जा रहा है।
यह वर्ग देश के कोने-कोने मे भ्रमण करेगा। सुविचारो का प्रवाह करेगा और सयम पालने का रास्ता दिखाएगा। कोई भी वर्ग इन्हे सताएगा नहीं, मारेगा नही, फण्ट देगा नहीं, भोर अनादर भी करेगा नही । यह वर्ग एक महान् पूज्य होगा, भादरणीय होगा।' ___ यह घोपणा सुनकर जन समूह प्रसन्न हो उठा। महारानी सुभद्रा भी प्रसन्न हो उठी तो भरत भी पुलकित हो उठे। सभी ने उस वर्ग का स्वागत किया। महाराज भरत ने सब सवको सुसस्कृत कराया और यज्ञोपबति दी। ___ इस प्रकार चक्रवर्ती भरत ने ब्राह्मण वर्ग की स्थापना की। क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ग की स्थापना भगवान आदिनाथ पूर्व मे कर ही चुके थे।
इस प्रकार सामाजिक व्यवस्था ने जन्म लिया। प्रत्येक वर्ग अपना-अपना उत्तरदायित्व समझने लगा और एक दूसरे का हितैपी बन कर सह्योग देने लगा । ना घृणा थी, ना हेप था और ना विद्वेष था । सब प्रसन्न थे । व्यवस्थित थे और मानन्द मय जीवन बिता रहे थे।
महाराज भरत ने विशेष अध्ययन किया । जिसके द्वारा गृहास्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक तथ्यों को प्रस्तुत