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नौवाँ पाठ | तत्त्व और पदार्थ |
तत्त्व सात होते हैं: - १ जीव, २ अजीव ३ आसव, ४ बंध, ५ संवर, ६ निर्जरा, ७ मोक्ष |
जीव
जीव उसे कहते हैं, जो जीवें, जिसमें चेतना हो अथवा जिसमे प्राण हो । पाँच इंद्रिय, तीन वल ( मनवल. वचनवल, कायवल ) आयु और श्वासोच्छ्वास. ये दस द्रव्यप्राण तथा ज्ञान दर्शन ये भावप्राण हैं । जिसमें ये पाये जाते हैं व जीव कहलाते है । जैसे मनुष्य देव, पशु पक्षी वगैरह ।
अजीव
अजीवें उसे कहते हैं जिसमे चेतना गुण न हो अथवा जिसमें कोई प्राण न हो । जैसे लकड़ी पत्थर वगैरह ।
आस्रव
आस्रव बंधके कारणको कहते हैं । इसके २ भेद हैं: १ भावास्रव २ द्रव्यासव । जैसे किसी नावमे कोई छेद हो जाय और उसमेसे उस नावमें पानी आने लगे, इसी प्रकार
१ एक इन्द्रिय जीव स्पर्शन इन्द्रिय, आयु कायवल और ब्वासोच्छ्वास, ये चार प्राण होते हैं दो इद्रिय जीव में रसना ( जिह्वा ) इन्द्रिय और वचन बल मिलाकर ६ प्राण होते हैं। तीन इन्द्रिय जीव में नासिका (नाक ) इंद्रिय बढकर सात प्राण हैं । चार इन्द्रिय जीवमें चक्षु ( आँख ) इन्द्रिय बढकर ८ प्राण हैं । पचेन्द्रिय सशीजीव में मन मिलाकर पूरे दस प्राण होते हैं । २ अजीवके पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल ५ भेद हैं, जिनका कथन तीसरे भाग में आ चुका है ।