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90 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय चौराहो और राजमार्गो मे कोलाहल होने लगा कि भगवान् महावीर गुणशील चैत्यLXII (उद्यान) मे पधार गये हैं और लोगो के समूह के समूह भगवान् की पर्युपासना करने के लिए जाने लगे। उस कोलाहल से राजा श्रेणिक के अधिकारियों को इस वार्ता का पता लगा, तब वे श्रमण भगवान् महावीर के पास पहुंचे, उन्होने श्रमण भगवान् महावीर को तीन बार वदन-नमस्कार किया और उनका नाम, गोत्र पूछा, स्मृति मे धारण किया। तत्पश्चात् सभी एकत्रित होकर एकात स्थान मे गये और वहाँ आपस मे बातचीत करने लगे कि___"हे देवानुप्रियो । श्रेणिक राजा भभसार जिनके दर्शन के लिए पलक-पॉवडे बिछाये हैं, जिनका नाम-गोत्र श्रवण करने मात्र से श्रेणिक राजा हर्षित हृदय वाला हो जाता है, वे भगवान् महावीर गुणशील उद्यान में विराज रहे हैं। अत राजा को जाकर ये समाचार कहने चाहिए। सभी इस बात पर सहमत हो गये। ___ तब वे राजा श्रेणिक के राजमहल मे आये और हाथ जोडकर, विनयपूर्वक कहने लगे-महाराज की जय हो । हे देवानुप्रिय ! आप जिनके दर्शनो के लिये लालायित रहते है वे भगवान् महावीर गुणशील उद्यान मे विराज रहे हैं।
जैसे ही राजा श्रेणिक ने यह सवाद सना, वह अत्यन्त हर्षित होकर, अपने सिहासन से उठा और वहीं से भगवान् महावीर को वदन-नमस्कार किया। तब उन अधिकारी पुरुषो का सत्कार-सम्मान कर उन्हे जीविका योग्य विपुल दान देकर विदा किया। तत्पश्चात् नगर रक्षक को बुलाकर कहा-देवानुप्रिय । राजगृह नगर को अन्दर और बाहर से स्वच्छ और परिमार्जित करो। उसके बाद सेनापति को बुलाकर कहा कि हाथी, घोडे, रथ और पदातिक योद्धागण-इन चार प्रकार की सेना को सुसज्जित करो।
तत्पश्चात् यानशाला के अधिकारी को बुलाकर कहा कि देवानुप्रिय । श्रेष्ठ धार्मिक रथ को तैयार करके उसे यहाँ उपस्थित करो।
राजाज्ञा को प्राप्त कर सब अपने-अपने कार्य मे लग गये। यानशाला का प्रबधक यानशाला में आया। उसने रथ को नीचे उतारा, उस पर ढके वस्त्र को दूर किया, झाड-पोछ कर रथ को स्वच्छ बनाया और सुसज्जित किया। फिर वाहनशाला मे आकर उत्तम बैलो का प्रमार्जन कर उनकी पीठ पर बार-बार हाथ फेरकर उनके स्कन्ध पर ढके हुए वस्त्रो को दूर कर अलकृत किया और आभूषणो से उनके शरीर को सजाया। फिर उन बैलो को रथ में जोडकर चाबुक हाथ मे लिए सारथि के साथ रथ मे बैठकर श्रेणिक राजा के पास रथ को उपस्थित किया और निवेदन किया-स्वामिन् | आपके लिए धार्मिक रथ तैयार है, आप इस पर बैठे। (क) पदाति-पैदल