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अपश्चिम तीर्थंकर महावीर, भाग-द्वितीय : 277 116 उत्तराध्ययन, नेमिचंद, दिव्यदर्शन ट्रस्ट, बम्बई, 20, 34, पृ 179-80। 117 दीघनिकाय 3, 11, पृ 312-131 118 तिलोयपण्णत्ति, यति वृषभाचार्य विरचित, सम्पा आदिनाथ उपाध्याय, हीरालाल
जैन, प्रथम भाग, शोलापुरीयो जैन सस्कृति सरक्षक संघ, सन् 1943, 4, 54, पृ
2091
119 प्रश्नव्याकरणवृत्ति, अभयदेवसूरि, प्रका आगमोदय समिति, सन् 1919, पृ991 120 श्रमण भगवान् महावीर, कल्याण विजय जी, पृ.741 121 श्रेणिक चारित्र के अनुसार, श्रेणिक राजा की माता का नाम कलावती था। 122 त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ 116-181 123 सुलसा चारित्र, जयतिलकसूरि विरचित, सर्ग 2-3, श्री जैन विद्याशाला,
अहमदाबाद, सन् 18991 124 क त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही पृ 121-231
ख श्री महावीर कथा, सम्पा गोपालदास जीवाभाई पटेल, पृ. 232-36। _____125 क यहा वर्णन त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र के अनुसार है लेकिन श्रेणिक चारित्र
एवं जैन कथा माला भाग 37 मे नंदीग्राम का वर्णन है, अतएव वही से
दृष्टव्य है। ख. महावीर कथा, वही, पृ 236-391 126 श्रेणिक रास एवं श्रेणिक बिम्बिसार मे भरत चित्रकार का उल्लेख है तथा सुज्येष्ठा
के स्थान पर चेल्लना का चित्र बनाया, ऐसा उल्लेख मिलता है। जैन कथामाला,
युवा श्री मधुकर मुनि, भाग 7, पृ 47। 127 जैन कथामाला, युवा श्री मधुकर मुनि, प्रका मुनिश्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन,
ब्यावर, द्वि सं. 1986, सप्तम भाग, पृ. 48। दृष्टव्य · जैन धर्म का मौलिक
इतिहास, भाग-2, पृ. 2561 128 क. महावीर कथा, वही, पृ 2391 ख जैन कथा, भाग 37, उपा श्री पुष्कर मुनि, तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर,
पृ.78-931 129 क त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही पृ. 130-3।
ख जैन कथा, 37, वही, पृ93-951 130 क सुलसाचारित्र, वही, सर्ग 3, पृ 731 ख. भगवान् महावीर, लेखक-कामता प्रसाद, प्रका मूलचंद किशनलाल
कापड़िया, सूरत, प्र स वीर सवत् 2450, पृ 1421 131 क त्रिषष्टिश्लाकापुरूषचारित्र, वही, पृ 1311