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________________ 266 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय दीक्षा ली थी - 1 वीरागक, 2 वीरयश, 3 सजय, 4 एणेयक, 5 राजर्षि, 6 श्वेत, 7 शिव, 8 उदायन (वीतिभयनगर का राजा) VI सन्निपल्ली ___ यह गाँव पूर्व दिशा से सिन्धु देश की ओर जाते समय बीच मे पडता था इसके आस-पास का प्रदेश विकट मरूस्थल भूमि थी। जैन सूत्रो के उल्लेख से ज्ञात होता है कि सिनपल्ली के मार्ग निर्जल और छायारहित थे। एक सूत्रोल्लेख है कि सिनपल्ली के दीर्घ मार्ग मे केवल एक ही वृक्ष आता है। देवप्रभसूरि के पाण्डवचरित्र महाकाव्य मे उल्लेख है कि जरासन्ध के साथ यादवो ने सिनपल के पास सरस्वती नदी के तटपर युद्ध किया था और युद्ध मे अपनी जीत होने पर वे आनन्दवश होकर नाचे थे, जिससे सिनपल्ली ही बाद मे आनन्दपुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कुछ भी हो पर इससे यह तो निश्चित है कि सिनपल मरूभूमि म एक प्रसिद्ध नगर था जो बाद मे आनन्दपुर के रूप में परिवर्तित है गया था। जैन सूत्रो के अनेक उल्लेखो से उक्त बात का समर्थन होता है हमारे विचारानुसार बीकानेर राज्य के उत्तरप्रदेश मे अवस्थित “आदनपुर" नामक गाँव ही प्राचीन आनन्दपुर का प्रतीक हो तो आश्चर्य नही है। पुरातत्ववेता, कल्याणविजयर्ज
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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