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________________ 190 : अपश्चिम तीर्थकर महावीर, भाग-द्वितीय निरपराधी प्राणी को चीर डालना छविच्छेद नामक अतिचार है। अतिभार-पशु-दास-दासी आदि पर उनकी शक्ति से अधिक भार डालना अतिभार है। इससे मनुष्य एव पशुओ के शरीर और मन को क्षति पहुँचती है और मन की निर्दयता ही प्रकट होती है। किसी अक्षम व्यक्ति पर योग्यता से अधिक भार डालना भी अतिभार-रोपण अतिचार है। जैसे नाबालिग बालक-बालिकाओ पर विवाह की जिम्मेदारी डालना. वृद्ध एव अनमेल विवाह करना, प्रजा पर अधिक कर या चुंगी का आरोपण करना, अयोग्य व्यक्तियो पर सघ, समाज या शासन सचालन की जिम्मेदारी डालना आदि-आदि सभी अतिभार आरोपण के अन्तर्गत हैं। 5 भक्त-पान व्यवच्छेद-अपने आश्रित दास-पशु आदि के खान-पान मे बाधा डालना, उनको समय पर भोजन नहीं देना । कर्मचारियो आदि को उचित समय पर उचित वेतन नहीं देना। गर्भवती स्त्री द्वारा उपवास करके गर्भस्थ जीव को भूखा रखना आदि इसी अतिचार में शामिल हैं। स्थूल मृषावाद के पॉच अतिचारो को जानना चाहिए लेकिन उनका आचरण नहीं करना चाहिए। यथा - 1 सहसा अभ्याख्यान-यकायक, बिना सोचे-समझे किसी पर झूठा आरोप लगाना, सहसा अभ्याख्यान है। तीव्र क्लेशयुक्त झूठ बोलने से तो अनाचार भी बन जाता है। रहस्याभ्याख्यान-किसी की गुप्त बात को प्रकट करना या एकान्त मे बैठे व्यक्तियो को बात करते हुए देखकर उन पर झूठा दोषारोपण करना रहस्याभ्याख्यान अतिचार है। स्वदारमत्र-भेद-अपनी स्त्री की गुप्त बात या मर्मकारी घटना प्रकट करना स्वदारमत्र-भेद नामक अतिचार है, क्योकि ऐसा करने से लज्जावश स्त्री आत्महत्या तक कर लेती है। मृषोपदेश-दूसरो को झूठा उपदेश देना मृषोपदेश है। यथा-झूठ बोलने, चालाकी करने, तोल-माप मे गडबडी करने, ठगी-बेईमानी करने की प्रेरणा देना, ट्रेनिग देना, प्रोत्साहित करना आदि इसी मे सम्मिलित हैं। कूटलेखकरण-झूठा लेख लिखना, दूसरो को ठगने के लिए झूठे, जाली कागजात तैयार करना। यह अतिचार प्रमादवश या अविवेक से झूठा लेख लिखने से लगता है। जानबूझकर करने पर तो यह अनाचार की कोटि मे आता है। तदनन्तर भगवान् ने फरमाया-आनन्द ! अदत्तादान विरमण व्रत के पाँच अतिचारो को जानना चाहिए लेकिन उनका आचरण नहीं करना चाहिए। यथा - 2.
SR No.010153
Book TitleApaschim Tirthankar Mahavira Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh Bikaner
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size11 MB
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