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अपश्चिम तीर्थंकर महावीर
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(क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 5
(क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही, पृ. 6
(क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6
(क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरी; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र : श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही, पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र: श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6 (क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6
(क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि; वही; पृ. 248-49 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 7
(क) आवश्यक सूत्र; श्री मलयगिरि वही; पृ. 248-49 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 6-7
(क) आवश्यक सूत्र : श्री मलयगिरि; वही; पृ. 240-50 (ख) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 7-8
(क) आवश्यक सूत्र: श्री मलयगिरि; वही; पृ. 250
(ख) कल्पसूत्र; लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय विरचित कल्पद्रुमकलिकादि टीकाओं का हिन्दी भाषान्तर; वही; पृ. 44-45
(ग) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 8
(क) त्रिषष्टि श्लाका पुरुष चारित्र; वही; पृ. 8
(ख) कल्पसूत्र; लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय विरचित कल्पद्रुमकलिकादि टीकाओं का हिन्दी भाषान्तर; वही; पृ. 45
(ग) जैन कथा माला; भाग 6; मधुकर मुनिजी ने विशाखनंदी के जीव को अश्वग्रीव प्रतिवासुदेव बताया है जो संगत नहीं । सन् 2000: पृ. 28