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का राज्य पर अधिकार होगा।
१२-'ऊंचा सिंहासन' का अर्थ यह है कि गर्भस्थ बालक मनुष्य होते हुए भी देवों के सिंहासन पर आसीन होगा और कोटि-कोटि मनुष्यों की श्रद्धा का पात्र बनेगा।
१३-'स्वर्ण-विमान' यह प्रकट करता है कि गर्भस्थ बालक स्वर्ग की महान विभूति है।
१४-'नाग-भवन' से प्रकट होता है कि गर्भस्थ बालक जिस स्थान में जन्म लेगा, वह स्थान कोटि-कोटि मनुष्यों का तीर्थ बनेगा।
१५–'रत्न-भण्डार' का अर्थ यह है कि गर्भस्थ बालक मानवीय गुणों से सम्पन्न होगा।
१६-'धुएं से रहित अग्नि' का अर्थ यह है कि गर्भस्थ बालक अपने ज्ञान से सभी कर्मों का क्षय करके निर्वाण-पद को प्राप्त करेगा। __इस प्रकार भगवान महावीर के अवतीर्ण होने के पूर्व ही लोगों को उनके देवत्व और महापुरुषत्व का परिचय मिल गया था। लोग बड़ी उत्कंठा और उत्सुकता से उस मंगलमय घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे, जब उनके पावन चरण धरती पर पड़ेंगे। ___ आखिर वह घड़ी आ गई। ईसा से ५६६ वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ला त्रयोदशी की तिथि थी, सोमवार का दिन । वसन्त ऋतु का वैभव चतुर्दिक फैला हुआ था। बाग-बगीचे फूलों से झूम रहे थे। धरती से लेकर आकाश तक सुरभि की लहरें व्याप्त थीं। पक्षी सुमधुर स्वरों में बोल रहे थे और उनके मधुर गान कर्ण-कुहरों में अमृत-रस घोल रहे थे। नदियों-सरोवरों में
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