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________________ जन्म लेने वाले महामानवों ने धरती को सुख-शान्ति का जो आलोक प्रदान किया, घरती उसकी छाया में सहस्रों वर्षों तक अपने सौभाग्य शृंगार का अक्षय-सुख भोग चुकी है। फलतः धरती इन स्थानों, इन तीर्थों को अपनी गोद में छिपाकर रखती है। I कितना वन्दनीय है वह देश, कितनी पूज्य है वह धरती, जिसकी गोद में महावीर स्वामी का आविर्भाव हुआ । महावीर स्वामी ने उस देश और उस देश की धरा में जन्म लेकर उसे स्वर्ग के समान सुपावन और महिमामय बना दिया | पुलकित हो उठी होगी वह धरती, जब पहले-पहले उसकी गोद में उनके चरण पड़े होंगे। शत-शत वसन्त खिल उठे होंगे, शत-शत देवसरिताएं तरंगित हो उठी होंगी। हम धरती के उस सुख का अनुमान आज भी लगा सकते हैं, उस श्रद्धा की त्रिवेणी को देखकर जो आज भी उस पवित्र स्थान के कोटि-कोटि मनुष्यों के हृदय से निकलती है । सहस्रों वर्ष बीत गए हैं; पर आज भी प्रति वर्ष लक्ष- लक्ष मनुष्य महावीर स्वामी के जन्म-स्थान में पहुंचकर उसकी मिट्टी में लोटते हैं, चन्दन के समान उसे अपने मस्तक पर लगाते हैं | क्या है उस मिट्टी में ? उस मिट्टी में स्वर्ग का सुख है, निर्वाण का अनुपम आनन्द है । एक सदृश्य तीर्थयात्री ने उस आनन्द का चित्रण इन शब्दों में किया है, "मैं जब महावीर स्वामी के जन्म स्थान, कुण्ड ग्राम में पहुंचा, तो मेरी आंखों के सामने एक देवी विभूति साकार हो उठी। मैं कृतकृत्य हो उठा । मन-ही-मन सोचने लगा, यही वह स्थान है जहां मृत्यु के विजेता भगवान महावीर ने जन्म लेकर धरती की गोद Yo
SR No.010149
Book TitleAntim Tirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShakun Prakashan Delhi
PublisherShakun Prakashan Delhi
Publication Year1972
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size6 MB
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