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दीक्षा ग्रहण की है। तुम साधना-पथ पर चल रहे हो। तुम्हें किसी से क्या तात्पर्य कि कोई तुम्हारा आदर-सम्मान कर रहा है या तुम्हारे प्रति उपेक्षा प्रदर्शित कर रहा है। तुम्हें आदरसम्मान और उपेक्षा–सबको भुलाकर ही साधना-पथ पर अग्रसर होना चाहिए।"
मेघकुमार ने नेत्रों में आश्चर्य भरकर भगवान महावीर की ओर देखा । भगवान महावीर की दिव्य-वाणी ने उनके भीतर अमृत-रस घोल दिया था। वह मन-ही-मन पाश्चाताप करने लगे । भगवान महावीर पुनः बोल उठे, "वत्स, तुम नहीं जानते कि तुम कौन हो? पर मैं तुम्हें भली-भांति जानता हूं। आज से तीसरे जन्म में तुम एक हाथी थे।"
मेघकुमार विस्मित हो उठे। वह उत्कंठापूर्वक भगवान महावीर की ओर देखने लगे। भगवान महावीर ने पुनः कहा, "हां, वत्स, आज से तीसरे जन्म में तुम एक हाथी थे। एक दिन सहसा आकाश में बादल छा गए । बड़े जोरों का झंझावात उठ पड़ा। धरती-आकाश, सब कुछ धूल से भर गया। चारों ओर अंधेरा छा गया। जीव-जन्तु व्याकुल होकर इधर से उधर भागने लगे। तुम्हें भी अपने प्राणों की चिन्ता हुई । तुम भी उस अंधेरे में भाग खड़े हुए। कहां जा रहे हो, कुछ पता नहीं, क्योंकि सभी दिशाएं तमसान्छन्न थीं। ___ "आखिर तुम दलदल में जा फंसे । तुमने उस दलदल से बाहर निकलने के लिए अथक प्रयत्न किया, पर तुम निकल न सके । बादल छंट गए थे, आंधी शान्त हो गई थी। दिशाएं भी अब स्वच्छ हो चुकी थीं। वन के हिंसक जीव-जन्तुओं
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