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चौथे को ग्राँखे ठोक है और इसके अतिरिक्त उसके पास दूरवीन भी है।
अब जब ये चारो व्यक्ति क्षितिज की योर नजर करेंगे तब क्या इन लोगो की दृष्टि-मर्यादा में समानता होगी ? सभी व्यक्तियो को क्या एक सा दिखाई देगा ? यदि उस समय इन लोगो को आँखो देखे हाल का वर्णन करने को कहा जाय तो चारो के पास से अलग-अलग बात सुनने को मिलेगी ।
इस तर्क Logic की भी वही दगा है। उसका उपयोग करने वाले तथा कराने वाले विभिन्न व्यक्तियो की समझ, बुद्धि, ज्ञान अनुभव तथा शक्ति का प्रभाव एक या दूसरी तरह उन पर पडे विना नही रह सकता | उसमे 'अशुद्धि' ये विना नही रह सकती ।
तो फिर 'शुद्ध' तर्क किसे कहा जाय ?
यहाँ पर हम दुनियादारी और मनुष्य को बुद्धि को ही ध्यान में रख कर तर्क के बारे में चर्चा कर रहे हैं | तत्त्वज्ञान के तर्क के वारे मे विचार करने तक हम नही पहुँचे । वहाँ पहुँचने के लिए हमे धीरज रखना होगा ।
अभी तो हम अपनी इस प्राथमिक बात को हो आगे वढाएँ । इसके लिये जिस भूमिका की ग्रावश्यकता है उस और हम झुकें ।